ध्रुव जुरेल ने छुड़ाए अंग्रेजो के छक्के, खेली 90 रनों की जुझारू पारी

भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जा रहे चौथे टेस्ट के तीसरे दिन भारत के विकेट कीपर बल्लेबाज ध्रुव जुरेल ने अपनी जुझारू बल्लेबाजी से पूरे देश मे अपनी प्रशंसा बटोरी है। भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है, यह एक ऐसा धर्म है जो देश भर में लाखों लोगों को एकजुट करता है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत से कई प्रतिभाशाली क्रिकेटर उभरे हैं और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी छाप छोड़ी है। ऐसे ही एक होनहार खिलाड़ी हैं युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज ध्रुव जुरेल, जिन्होंने पिछले टेस्ट मैच मे अपना डेब्यू किया था।

ध्रुव जुरेल की जुझारू पारी

चौथे टेस्ट मे भारत जब इंग्लैंड के पहले पारी के जबाब मे उतरा, तो मात्र 17 रनों पर भारत ने अपने 7 विकेट गवा दिए। इस समय तक भारत इंग्लैंड के स्कोर से 176 रन पीछे था, और भारत की अभी उम्मीदों पर संकट के बादल मंडरा रहे थे। जुरेल के साथ निचले क्रम के बल्लेबाज ही बचे थे। जुरेल का साथ देने आए कुलदीप यादव ने भी दृढ़ता के साथ बल्लेबाजी की और जुरेल ने कुलदीप के साथ 76 रनों की साझेदारी की।

निचले क्रम के साथ बल्लेबाजी

इसके बाद आकाशदीप के साथ 40 और सिराज के साथ 14 रनों की साझेदारी करके जुरेल ने भारत की पारी को 300 के पार पहुचाया, जुरेल की पारी की बदौलत इंग्लैंड मात्र 46 रनों की बढ़त ही ले पाया। टॉम हार्टले ने जुरेल को 90 रनों पर एक बहुत ही खूबसूरत गेंद के साथ बोल्ड किया। जुरेल ने पारी मे 6 चौके और 4 छक्के लगाए। दिन का मैच खत्म होने तक भारत को जीत के लिए केवल 152 रनों की जरूरत है, और भारत के अभी सारे विकेट सुरक्षित है।

शतक से चूकने के बावजूद, ज्यूरेल ने व्यक्तिगत उपलब्धियों के बजाय टीम की सफलता पर ध्यान केंद्रित किया। अपने साक्षात्कार में, उन्होंने अपनी टीम के साथ ट्रॉफी उठाने की इच्छा व्यक्त की। ध्रुव जुरेल का जन्म 21 जनवरी 2001 को भारत में हुआ था। सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार से आने वाले जुरेल को अपने पिता से अनुशासन और दृढ़ संकल्प की मजबूत भावना विरासत में मिली, जिन्होंने कारगिल युद्ध में सेवा की थी। उनकी परवरिश ने उनमें कड़ी मेहनत, दृढ़ता और कभी हार न मानने वाले रवैये के मूल्यों को विकसित किया, जो उनकी क्रिकेट यात्रा में सहायक रहे हैं।

रोल मॉडल और प्रेरणा

ध्रुव जुरेल क्रिकेट के शुरुआती दिनों से ही पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी को अपना आदर्श मानते रहे हैं। दबाव में धोनी की शांति और टीम के लिए मैच खत्म करने की क्षमता ने ज्यूरेल पर अमिट छाप छोड़ी है। वह धोनी के नेतृत्व गुणों का अनुकरण करना चाहते हैं और उसी तरह टीम की सफलता में योगदान देना चाहते हैं। एक युवा क्रिकेट प्रेमी से भारतीय क्रिकेट में उभरते सितारे तक ध्रुव जुरेल की यात्रा उनकी प्रतिभा, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।

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