भारत और इंग्लैंड के बीच राजकोट में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच के पहले दिन सरफराज खान बड़ी उम्मीदों के साथ मैदान पर उतरे. और उन्होंने भारतीय फैंस को निराश नहीं किया. कप्तान रोहित शर्मा के आउट होने के बाद सरफराज ने मोर्चा संभाला और तुरंत अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. निडर दृष्टिकोण के साथ, उन्होंने इंग्लैंड के गेंदबाजों पर हमला किया और कई तरह के अलग अलग शॉट्स खेले। बता दे की आज सरफराज खान भारत की तरफ से टेस्ट क्रिकेट के 311वे खिलाड़ी बन गए, भारत के महान गेंदबाज अनिल कुंबले ने खुद अपने हाथों से सरफराज को डेब्यू कैप प्रदान की, ये देख कर सरफराज के पिता की आँखों मे आँशु आ गए।
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सरफराज खान का सबसे तेज पचास
केवल 48 गेंदों में सरफराज ने अपना पहला टेस्ट अर्धशतक पूरा किया और इस उपलब्धि को हासिल करने वाले संयुक्त रूप से सबसे तेज भारतीय डेब्यूटांट बन गए। उनकी पारी की विशेषता उनके आक्रामक स्ट्रोक थे, उन्होंने इंग्लैंड की टीम के सामने बैजबाल जैसा खेल दिखा कर इंग्लैंड की टीम को सकते मे डाल दिया। युवा बल्लेबाज ने घबराहट का कोई संकेत नहीं दिखाया, वह क्रीज पर टिके रहे और भारतीय पारी को आवश्यक गति प्रदान की।
चौकों छक्कों से भारी रही पारी
सरफराज खान ने अपने सामने किसी भी इंग्लैंड के गेंदबाज की चलने नहीं दी, और खासकर स्पिन गेंदबाजों की जम कर धुनाई की, अपनी पारी मे सरफराज ने 9 चौके और 1 छक्का लगाया। सरफराज लगातार प्रहार करते रहे जिससे उनके सामने इंग्लैंड के स्पिनर्स सटीक लाइन पर नहीं डाल सके। जिमी एंडर्सन के सामने भी वो निडर नजर आए और उनके आते ही उनका एक दुक्के और चौके से स्वागत किया।
रन आउट से हुआ पारी का अंत
सरफराज खान की पहली पारी उल्लेखनीय से कम नहीं थी, इसमें एक दिल तोड़ने वाला क्षण भी शामिल था। सिर्फ 66 गेंदों पर 62 रन बनाने के बाद सरफराज रवींद्र जड़ेजा के साथ गफलत के कारण रन आउट हो गए. जड़ेजा की कॉल पर सरफराज खान रन लेने के लिए तेजी से आगे बढ़े, लेकिन जडेजा ने मना कर दिया, जिससे सरफराज पिच के बीच में फंस गए। मार्क वुड के सीधे थ्रो ने सरफराज की डेब्यू मैच में शतक की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया।
कैसा रहा सरफराज का सफर
सरफराज खान की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की यात्रा दृढ़ संकल्प और दृढ़ता से भरी हुई है । 22 अक्टूबर 1997 को मुंबई में जन्मे सरफराज क्रिकेट से जुड़े परिवार से हैं। उनके पिता नौशाद खान खुद एक क्रिकेटर थे और उन्होंने सरफराज के करियर को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके मार्गदर्शन में, सरफराज ने अपने कौशल को निखारा और कम उम्र में ही खेल के प्रति जुनून विकसित किया।
सरफराज ने विभिन्न टूर्नामेंटों में मुंबई का प्रतिनिधित्व करते हुए जूनियर क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने अपने असाधारण बल्लेबाजी कौशल के लिए ध्यान आकर्षित किया और जल्द ही उन्हें भारतीय क्रिकेट में सबसे होनहार प्रतिभाओं में से एक माना जाने लगा। 17 साल की उम्र में, सरफराज ने क्रिकेट जगत का ध्यान तब खींचा जब उन्होंने एक इंटर-स्कूल टूर्नामेंट में नाबाद 439 रन बनाकर सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए गए लंबे समय से चले आ रहे रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
घरेलू क्रिकेट मे बरसाए रन
सरफराज खान का अपने टेस्ट डेब्यू में प्रदर्शन उनके घरेलू रिकॉर्ड से परिचित लोगों के लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं थी। 26 वर्षीय ये खिलाड़ी पिछले 10 वर्षों से घरेलू क्षेत्र में कड़ी मेहनत कर रहा थे और रणजी ट्रॉफी में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा थे। पिछले तीन सीज़न में, सरफराज ने अपने लगातार प्रदर्शन से भारतीय टीम के दरवाजे पर दस्तक देते हुए, दो सीज़न में 900 रन बनाए।
सरफराज को खेलते हुए देख कर, यह स्पष्ट है कि उनके पास उच्चतम स्तर पर सफल होने के लिए कौशल, स्वभाव और दृढ़ संकल्प है। इस युवा प्रतिभा के लिए भविष्य में अपार संभावनाएं हैं और भारतीय क्रिकेट प्रशंसक उनकी अगली पारी का बेसब्री से इंतजार करेंगे।
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